This picture is from my days in Maldives
Rains bring forth every hidden emotion, I wrote this poem sometime in 2011. |
इस सौंधी खुश्बू मे कुछ ख़ास नही है,
इस बारिश मे अब वो बात नही है,
मेरी आँखो मे बादल तो है पर बरसात नही है
इस बारिश मे अब वो बात नही है
मुट्ठी मे बंद कर ली थी मैने वो बूँदें,
थोड़ी सी खुश्बू और वो बातें,
यादें तो हैं पर वो अहसास नही है
इस बारिश मे अब वो बात नही है
निकलते थे बारिशो मे भीगने,
गरम चाय मे कुछ पानी की बूदे पीने,
पर अब तेरा साथ नही है,
इस बारिश मे अब वो बात नही है
इस बारिश मे अब वो बात नही है,
मेरी आँखो मे बादल तो है पर बरसात नही है
इस बारिश मे अब वो बात नही है
मुट्ठी मे बंद कर ली थी मैने वो बूँदें,
थोड़ी सी खुश्बू और वो बातें,
यादें तो हैं पर वो अहसास नही है
इस बारिश मे अब वो बात नही है
निकलते थे बारिशो मे भीगने,
गरम चाय मे कुछ पानी की बूदे पीने,
पर अब तेरा साथ नही है,
इस बारिश मे अब वो बात नही है
छाता घर मे भूल के,
मिलती थी तुझसे और बारीशों से,
सब कुछ है पर कुछ नही है
वो मुस्कान, सिमटी हुई थी तमाम ज़िंदगी जिसमें,
वो बारिश के गाने भी कहीं खो से गये हैं
रातें नयी पर सपने पुराने रह गये हैं..
Very well written. So many people will relate to this. Simple yet impactful words.
ReplyDeleteThank you.. glad you liked it.
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